लखनऊ न्यूज डेस्क: उत्तर प्रदेश में राजस्व मामलों के तेजी से निपटारे को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्त निगरानी का असर अब साफ दिखाई देने लगा है। सीएम योगी खुद हर महीने जिलावार समीक्षा करते हैं, जिससे अधिकारियों पर दबाव बना है कि वे तय समय सीमा में काम पूरा करें। यही वजह है कि मई महीने में पूरे प्रदेश में कुल 3,20,719 राजस्व मामले निस्तारित हुए। राजधानी लखनऊ सबसे आगे रही, जहां 15,137 मामलों का निपटारा किया गया, जबकि जौनपुर और प्रयागराज क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।
जनपद स्तरीय राजस्व न्यायालयों के प्रदर्शन की बात करें तो जौनपुर ने एक बार फिर बाजी मारी है। यहां की पांच राजस्व अदालतों ने बोर्ड ऑफ रेवेन्यू द्वारा तय किए गए 250 मामलों के लक्ष्य के मुकाबले 563 मामलों का निपटारा किया, जो 225% से अधिक है। जौनपुर के बाद सुल्तानपुर और गाजीपुर ने क्रमशः 549 और 262 मामलों का निस्तारण कर दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया है। डीएम डॉ. दिनेश चंद्र सिंह ने बताया कि ये नतीजे मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप काम करने का परिणाम हैं।
जिलाधिकारी न्यायालयों के प्रदर्शन में भी अयोध्या टॉप पर रहा, जहां 30 के निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 69 मामलों का निस्तारण कर 230% की उपलब्धि दर्ज की गई। जौनपुर और मऊ क्रमशः 66 और 65 मामलों के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। वहीं भू-राजस्व से जुड़े मामलों में जौनपुर के अपर जिलाधिकारी ने 50 की जगह 208 मामलों का निपटारा कर पूरे प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया। गाजीपुर और मीरजापुर दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे।
फाइनेंस और राजस्व श्रेणी में भी जौनपुर ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है। जौनपुर के अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) ने 50 के मानक के मुकाबले 146 मामलों का निस्तारण कर 292% की उपलब्धि हासिल की। बाराबंकी और गाजीपुर क्रमशः दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे। वहीं अतिरिक्त उप जिलाधिकारी स्तर पर भी जौनपुर के दोनों अधिकारियों ने अपने तय मानकों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए क्रमशः 80 और 63 मामलों का निस्तारण किया। यह साबित करता है कि प्रदेश में राजस्व मामलों के निस्तारण को लेकर अब एक नई कार्यसंस्कृति विकसित हो रही है।